@ रतनपुर, कोनी, तखतपुर के बाद पचपेड़ी में पुलिस के ऊपर हुई कारवाई : यक्ष प्रश्न- कब रक्षक बनेगी पुलिस

संतोष श्रीवास पत्रकार मो 9098156126
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने वाला मामला लगातार उजागर हो रहा है। गत दिवस रतनपुर थाने में पदस्थ आरक्षक के द्वारा शराब कोचिए एवं ग्रामीणों से अवैध शराब को पकड़कर पैसे लेकर छोड़ने और पकड़े गए शराब को फिर से दूसरे कोचिये को बेचे जाने पर ग्रामीणों की शिकायत पर आरक्षक एवं थाना प्रभारी पर कारवाई की गई थी। इसी प्रकार कोनी क्षेत्र की एक महिला ने अपने पति जो अम्बिकापुर जेल में बंद था, अंबिकापुर जेल प्रहरी एवं जेलर पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा एसएसपी के यहां अंबिकापुर जेल से बिलासपुर जेल में रखने मांग की थी। तखतपुर थाना में विवादित आरक्षक निषाद का भी मामला आया था। जहां देवांगन पारा की एक महिला ने 20 हजार रिश्वत नहीं देने पर अपने पति को झूठे आरोप में फंसा कर जेल भेजने की शिकायत की थी। अब नया मामला पचपेड़ी थाना से आया है।


2 लाख रुपए मांगे आरक्षक ने
पचपेड़ी थाने में पदस्थ आरक्षक गजपाल जांगड़े का रिश्वतखोरी का वीडियो वायरल हो गया है। वीडियो में वह 1 लाख 5 हजार रुपए गिनते हुए स्पष्ट दिखाई दे रहा है।
आरोप है कि जांगड़े ने पीड़ित जोगी नायक को आबकारी एक्ट में फंसाने की धमकी दी और 2 लाख रुपए की मांग की। लेकिन आर्थिक तंगी से जूझ रहे जोगी नायक ने अपनी जमीन गिरवी रखकर बड़ी मुश्किल से 1 लाख 5 हजार रुपए का इंतजाम किया। वीडियो में जोगी नायक की पत्नी कामिनी नायक को आरक्षक को पैसे सौंपते हुए देखा जा सकता है। नोटों की गड्डियां पलंग पर रखी हुई हैं और कामिनी नायक कहती भी सुनाई दे रही हैं कि उनके पास केवल इतने ही पैसे हैं और इसके बदले उनके पति को छोड़ दिया जाए।
सोशल मीडिया पर वीडियो फैलते ही लोगों में पुलिस की कार्यशैली को लेकर भारी नाराज़गी देखने को मिली। पीड़ित ने इस मामले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा को पत्र लिखकर शिकायत दर्ज की है, जिसमें गजपाल जांगड़े के साथ-साथ अजय मधुकर, मुरीत बघेल और हरवेंद्र खुंटे जैसे अन्य पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की मांग की गई है।

सिर्फ निलंबन की कारवाई से पुलिस में कोई डर नहीं
वायरल वीडियो पर संज्ञान लेते हुए एसएसपी ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरक्षक गजपाल जांगड़े को निलंबित कर दिया है और मुख्यालय स्तर पर प्राथमिक जांच के आदेश जारी किए हैं। इस घटना ने एक बार फिर प्रदेश की पुलिस व्यवस्था की ईमानदारी और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आमजन पूछ रहे हैं कि जब कानून व्यवस्था संभालने वाले ही वसूली में लिप्त हों, तो आम जनता को न्याय कौन दिलाएगा?
