स्पेशल स्टोरी: नए गेटअप में नजर आ रहा सिम्स, हाईकोर्ट और प्रशासन के सख्ती के बाद सिम्स में मिल रही प्राइवेट हॉस्पिटल जैसी सुविधाएं

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सिम्स में जगह जगह दिख रहा है बोर्ड

संतोष श्रीवास पत्रकार मो. 9098156126
बिलासपुर। सिम्स में रिफर का नाम सुनते ही कई मरीजों के पसीने छूटने लगते थे। लेकिन अब वो दिन दूर हो चुके है। हाईकोर्ट और प्रशासन के लगातार सख्ती के बाद अब सिम्स में जगह-जगह बोर्ड, साफ सफाई व्यवस्था, सीसीटीवी कैमरे के साथ साथ डॉक्टरों और स्टाफ का अपने ड्यूटी समय में उपस्थित रहकर कार्य करने जैसे कई परिवर्तन हुए है। सिम्स का बाहरी रंगरोदन और भवन के अंदर कई नए कक्ष के निर्माण हो जाने के बाद की स्थिति पहले से बेहतर लग रही है। इतना सब बदलाव के बाद भी अभी कई खामियां बनी हुई है। ब्लड सैपल के पास बाथरूम में ताला लगा दिया जाता है। ब्लड कलेक्शन रूम में लंबी-लंबी लाइन लगने के साथ साथ पंजीयन काउंटर के पास लोगों की भीड अभी भी नियंत्रित करने में सिम्स प्रबंधन विफल नजर आ रही है। विभिन्न अखबारों में सिम्स की अव्यवस्था पर लगातार समाचार प्रकाशित होते रहे है। सिम्स की अव्यवस्था पर हाईकोर्ट और प्रशासन की नाराजगी जगजाहिर है। लेकिन अभी कुछ दिनों से अस्पताल में हुए बड़े बदलाव के बाद सिम्स की स्थिति बेहतर हुई है। इस बात का गवाह प्रतिदिन ओपीडी मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुईं है।

प्राइवेट हॉस्पिटल से भी ज्यादा सुविधा देने का किया जा रहा प्रयास: मूर्ति

सिम्स  बिलासपुर में  डीन डॉ रमनेश मूर्ति सर

सिम्स के व्यवस्था पर डीन श्री रमणेश मूर्ति ने बताया कि हाईकोर्ट के निर्देश एवं वर्तमान कलेक्टर श्री अवनीश शरण के लगातार प्रयास और 19 साल के इस क्षेत्र में कार्यअनुभव के आधार पर अब नए गेटअप में सिम्स नजर आ रहा है। बहुत कम लोगों को जानकारी होगा कि सिम्स के डीन श्री मूर्ति जी महामाया नगरी रतनपुर खूंटाघाट में ही जन्म हुआ है। वे बताते है कि चुनौतियां अवसर प्रदान करती है। मैं इस क्षेत्र में पढ़ लिखकर बड़ा हुआ हूं, इस क्षेत्र के लिए मेरी सहानुभूति अलग ही है। मैं इसके पहले भी बिलासपुर में डीन के पद पर कार्य कर चुका हूं। बिलासपुर के भौतिक स्थिति, मेडिकल कालेज का बनना, शहर के बीच में अस्पताल होने के साथ साथ प्राइवेट अस्पतालों के सामने चुनौती पेश करना, इतना आसान नहीं था। इसके बाद भी हम प्राइवेट अस्पताल के सामान सुविधाएं प्रदान करने आश्वस्त है।
लकड़हारा को देख डॉक्टर बनने का लिया निर्णय : डीन
आपने डाक्टर बनने का निर्णय कैसे लिया? इस प्रश्न के जवाब में डा. मूर्ति ने बताया कि मैं जब मात्र 10 साल का था, उस समय एक लकड़हारा स्कूल के पास लकड़ी काट रहा था, अचानक कुल्हाडी उसके ही पैर में पड़ गया। वह खून से लथपथ हो गया और जोर-जोर से रोने लगा। मैं भी कौतूहल स्वरूप देखने गया। उस समय एक डॉक्टर श्री ठाकुर सर थे, उन्होंने आकर उस लकड़हारा का इलाज किया और उनके इलाज से तुरंत राहत पा गए। मैं इस पूरे घटनाक्रम को देख रहा था। उसी समय मेरे मन में एक विचार आया कि क्यों न इस तरह डॉक्टर ही बना जाए और मैंने डॉक्टर बनने की ठान ली। उस दिन से आज तक सेवा कर रहा हूं।
अंबिकापुर है स्वच्छ शहर
बिलासपुर के बाद अंबिकापुर स्थानांतरण के सवाल पर उन्होंने बताया कि अंबिकापुर में डीन के पद पर कार्य करते हुए उनके कार्यकाल में पीजी की कक्षाएं, नए भवन का निर्माण और कई रिक्त पदों पर भर्ती प्रमुख कार्य रहे थे। अंबिकापुर बहुत स्वच्छ शहर है, वहां की परिस्थिति और बिलासपुर की परिस्थिति में बहुत असमानता है। बिलासपुर में नए अवसर मिलता है जो विशेष बनाता है।
पेइंग वार्ड का होगा विस्तार
डीन श्री मूर्ति ने बताया कि पेइंग वार्ड अभी चालू है, अभी 8 बेड से शुरू किया गया है। आगामी समय में इसका विस्तार कर 20 करने का लक्ष्य है। साथ ही केंटीन का भी व्यवस्था किया जा रहा है।
दवा वितरण की समस्या हुई दूर

सिम्स के बाहर मरीजों के लिए बना अस्थाई दवा वितरण  कक्ष

सिम्स में एडमिशन काउंटर के सामने ही दवा वितरण कक्ष था, जिसे अब बाहर कर दिया गया है। साथ टोकन सिस्टम भी कर दिया गया है, जिससे अब मरीजों को क्रमश: दवा आसानी से दिया जा रहा है। दवा वितरण कक्ष को भी स्थाई रूप से बनाया जाएगा जिससे मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो।
ब्लड बैंक में है अभी समस्या

ब्लड बैंक के सामने रोज लगता है भीड़

श्री मूर्ति ने बताया कि अभी ब्लड बैंक में भर्ती मरीज और ओपीडी दोनों के मरीज को एक ही कक्ष में ब्लड का सैंपल लिया जाता है। साथ ही वहीं पर शाम के समय उनका रिपोर्ट भी दिया जा रहा है। जिससे अभी अव्यवस्था हो रही है। आगामी समय में भर्ती मरीज के लिए अलग और ओपीडी के लिए अलग मंजिल में अलग अलग काउंटर बनाया जाएगा। जिससे ब्लड कलेक्शन  में होने वाली भीड़ से निजात मिल सकेगी।
खोजने की समस्या से मिल रहा निजात
पहले सिम्स आने पर मरीजों को वार्ड को खोजना पड़ता था, हाईकोर्ट के सख्त निर्देश के बाद पूरे अस्पताल में जगह-जगह बोर्ड लगाया गया है जिससे पढ़े लिखे मरीज एवं परिजनों को आसानी से गंतव्य जगह मिल सके।
सफाई पर दिया जा रहा विशेष व्यवस्था
जगह-जगह फ्लैक्स व बोर्ड के माध्यम से गंदगी नहीं करने अपील की गई है। साथ ही गार्ड के माध्यम से लोगों को सचेत भी किया जाता है। सफाई कर्मचारियों को सफाई पर विशेष ध्यान देने निर्देशित किया गया है।
सिम्स में है ओटी की जरूरत
सिम्स में अभी ओटी रूम है, लेकिन जिस तरह मरीजों की संख्या बढ़ गई है और अत्याधुनिक उपकरण से दुनिया लैस हो चुकी है। यहां पर भी और ओटी रूम की जरूरत है। अभी वर्तमान में पर्याप्त ओटी नहीं है।
एसएसएच हॉस्पिटल से बिलासपुर का होगा कद ऊंचा
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कोनी में खुल जाने के बाद बिलासपुर में बड़े स्तर पर इलाज संभव हो जाएगा। अभी वर्तमान में यूरोजाजिस्ट, कार्डियोलाजिस्ट और पल्मोलाजी पर इलाज शुरू कर दिया गया है। नए स्पेशलिस्ट डॉक्टर और स्टाफ आ जाने के बाद एसएसएच हॉस्पिटल की रौनक बढ़ जाएगी साथ ही मरीजों को मेट्रो सिटी की तरह सुविधाएं भी मिलनी शुरू हो जाएगी।

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घुटकू निवासी राजेश पाठक ने बताया कि पहले मैं कई बार सिम्स हास्पिटल मरीजों को लेकर जाता था, जगह-जगह गंदगी का ढेर और थूक से हास्पिटल गंदा दिखता था, लेकिन कुछ दिनों से व्यवस्था दुरूस्त हुआ है।

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बेलसरी तखतपुर निवासी मनोज श्रीवास जो सिटी स्केन कराने सिम्स आया हुआ था उन्होंने बताया कि पहले कई तरह के जांच के लिए बाहर भेज दिया जाता था, अब कई तरह के उपकरण के आ जाने से लोगों का पैसा और समय दोनों का बचत हो रहा है।

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बिलासपुर के ही लालू श्रीवास ने बताया कि अब सिम्स की व्यवस्था और रंगरोदन से प्राइवेट हास्टिपल की तरह लग रहा है। अभी थोड़ा बहुत और सुधार हो जाए तो बेहतर हो जाएगा।

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