श्री सत्यनारायण कथा व्रत के समान फलदायी है श्री गायत्री व्रत कथा, जानें क्या है खास इस व्रत कथा में,,,कब और कौन कौन करा सकता है इस कथा को,,,पढ़े पूरा विवरण
मंगला स्थित निवास में आचार्य श्री रामकुमार श्रीवास यजमान संतोष श्रीवास पत्रकार के निवास में कथा करते हुए,,,
संतोष श्रीवास पत्रकार मो 9098156126 तखतपुर, बिलासपुर। गायत्री परिवार बिलासपुर के ट्रस्टी सदस्य श्री रामकुमार श्रीवास द्वारा रचित श्री गायत्री व्रत कथा का इन दिनों लोगों के बीच काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। श्री सत्यनारायण व्रत कथा के ही समान श्री गायत्री व्रत कथा का महत्म है। इस कथा में 6 अध्याय है। प्रत्येक अध्याय में मां गायत्री की महिमा और गायत्री मंत्र के साधना, आराधना, और तप के फायदे बताए गए है। इस व्रत को कम से कम साधन में भी कथा सुना जा सकता है। सद्बुद्धि देने वाली मां गायत्री की महिमा को लोगों तक पहुंचाने का काम गायत्री परिवार के एवं बेलसरी परिवार के रामकुमार श्रीवास व्याख्याता ने उठाया है। श्री रामकुमार श्रीवास जी ने बताया कि परम पूज्य गुरुदेव श्रीराम शर्मा जी आचार्य के सूक्ष्म आशीर्वाद से उन्हें प्रेरणा मिली और श्री गायत्री व्रत कथा का रचना किया। इसके पहले भी दो पुस्तक और प्रकाशित हो चुका है। इस व्रत कथा को कभी भी किया जा सकता है। दिन तिथि का कोई बंधन नहीं है। परंतु पर्व में कथा करने का अलग ही महत्ता है। इस व्रत को बहुत ही कम खर्च में भी किया जा सकता है। विगत दिनों बेलसरी ग्राम में पहली बार श्री गायत्री व्रत कथा का आयोजन किया गया।इस अवसर पर बिलासपुर से पधारे रामकुमार श्रीवास, उधोराम प्रजापति, गणेश राम श्रीवास, शत्रुहन कश्यप ने संगीतमय श्री गायत्री व्रत कथा का संचालन किया।
कुल 6 अध्याय है इस व्रत कथा में
घर घर में श्री गायत्री कथा व्रत की चर्चा जोरों पर है। इस सम्बन्ध में आचार्य श्री रामकुमार श्रीवास गुरुजी ने कथा के संबंध में बताया कि कुल 6 अध्याय की रचना की गई है। प्रथम अध्याय में बताया कि मां पार्वती ने महादेव से पूछा कि आप खुद देवों के देव है, तो आप किसकी उपासना करते हो, तब भोलेनाथ ने कहा कि मैं देवी गायत्री की उपासना करता हूं। गायत्री के उपासना से लोगों कष्ट दूर होते है, सुखमय जीवन जीते है। दूसरे अध्याय में महर्षि गौतम के बारे में बताया गया है, वे गायत्री मंत्र का विशेष अनुष्ठान के पश्चात मां गायत्री ने दर्शन दिया और आशीर्वाद दिया कि अक्षय पात्र दे रही हूं जिसमें आपको इक्षित वरदान मिलता रहेगा। इस तरह लोगों को समस्याओं का हल के लिए मां गायत्री सदैव सहायता करती है। तृतीय अध्याय में बताया गया है जिसमे महात्मा आनंद स्वामी के बारे में बताया गया है। वे बचपन से पढ़ाई में बहुत कमजोर थे। अन्य लोग उसे चिढ़ाते थे। वे एक दिन आत्महत्या करने चले गए, तभी उन्हें एक महात्मा मिले जिन्होंने ने एक मंत्र दिया और वह मंत्र कौन था गायत्री मंत्र। अब वह बालक गायत्री मंत्र के साथ साथ पढ़ाई करने लगा। नींद ना आए इसलिए वे अपने चोटी को एक रस्सी से एक कील पर बांध देता था, जब भी उसे नींद आता था चोटी खींच जाता था, जिससे उसकी नींद टूट जाती थी। बाद वे बहुत बड़ा विद्वान बने। जो आर्य समाज के बहुत बड़े आचार्य बने। चतुर्थ अध्याय में बताया गया की वेद माता गायत्री को ध्यान करने वाला व्यक्ति को सफलता जरूर मिलता है। मथुरा के माधवाचार्य के बारे में बताया गया कि वे 13 वर्ष तक लगातार गायत्री मंत्र का जाप किया। पर उसे सफलता नहीं मिलता है। वे नाराज हो जाते है। फिर अपने तांत्रिक साधना के लिए बनारस चले गए। वहां पर वे साधना करने लगा। उसे जल्द ही तांत्रिक साधना मिल गई। जब माधवाचार्य ने अपने सामने प्रकट होने कहा तब भैरव ने कहा मैं आपके सामने प्रकट नही हो सकता। तब माधवाचार्य ने पूछा_क्यों सामने नहीं आ सकते, तब उस भैरव ने कहा की आपने 13 वर्ष तक गायत्री मंत्र का जाप किया किया है, मैं आपके सामने प्रकट होऊंगा तो जलकर भस्म हो जाऊंगा। तब माधवाचार्य ने कहा कि मैं तो 13 साल गायत्री मंत्र का जाप किया तो मुझे कोई सिद्धि क्यों नहीं मिला, तब उस भैरव ने कहा की आपके पुराने कर्म के कारण आपको सिद्धि प्राप्त नहीं हुआ था। कहानी का सारांश यह है की किसी एक भगवान या गुरु के शरण में रहना चाहिए। माधवाचार्य जी ने बाद में *माधव निदान* आयुर्वेद का प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की है। लोग आयुर्वेद से संबंधित ज्ञान प्राप्त करते है। पंचम अध्याय में वट सावित्री की कथा का वर्णन किया गया है। छठवें अध्याय में गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य के बारे में बताया गया है। मथुरा के आवलखेड़ा में जन्म लेने के बाद बनारस में शिक्षा के लिए चले गए तब श्री मदन मोहन मालवीय जी से गायत्री मंत्र की दीक्षा लिए। फिर 1971 तक मथुरा में रहने के बाद हरिद्वार चले गए। हरिद्वार में अपने गुरुदेव की प्रेरणा से सन 1958 में गुरुदेव श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इतना बड़ा यज्ञ किया कि लोग आज भी याद करते है। गुरुदेव ने देशभर में पत्र लिख कर लाखों लोगों को निमंत्रण दिया, और निमंत्रण ऐसे लोगों को भी भेजा जिसे गुरुदेव कभी जानते भी नहीं थे। नेता अभिनेता से लेकर आमजन इस यज्ञ में शामिल हुए। गुरुदेव असीम शक्ति वाले थे। वे 18 पुराण सहित अनेक काव्य की रचना किए। वे अश्वमेध यज्ञ का अभियान चलाया। श्री गायत्री व्रत कथा के संगीतमय आयोजन के लिए रचनाकार श्री रामकुमार श्रीवास शांतिनगर बिलासपुर से मोबाइल नंबर 9302817988 से संपर्क किया जा सकता है।