संतोष कुमार श्रीवास 9098156126
बिलासपुर। लोरमी विधानसभा से चार बार के विधायक, बुलंद इरादों के धनी और 7वीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी धर्मजीत सिंह बिलासपुर संभाग में एक मजबूत और लोकप्रिय नेता माने जाते है। उन्होंने shrinews36garh के संपादक संतोष कुमार श्रीवास से चर्चा के दौरान बताया की वे मध्य प्रदेश के समय से विधायक रहे है। जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे, उनसे बहुत कुछ सीखा है। जब वे प्रदेश से बाहर नहीं होते है तो बिलासपुर, तखतपुर, लोरमी, पंडरिया तक का उनका प्रतिदिन का सफर रहता है। इस दौरान सभी विधानसभा क्षेत्र के लोगों से मिलना एक नियमित दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। वे कहते है जब तक मैं क्षेत्र की जनता से न मिल लूं, कुछ अधूरा सा लगता है। जिस प्रकार सभी लोगों का सुबह उठते ही चाय के साथ अखबार पढ़ना दिनचर्या का एक हिस्सा है ठीक उसी प्रकार जब मैं निकलता हूं लोगों से मिलता जुलता रहता हूं। उन्होंने कहा- हार हो जाती है जब मान लिया जाए, जीत तब होती है जब ठान लिया जाए। इस बार तखतपुर मेरे लिए नया जगह नहीं है, मैने ठान लिया है इस बार तखतपुर में कमल खिलाना ही है।
भूख से था बेहाल, रात 2 बजे जायसवाल परिवार ने खिलाया था खाना
सन् 1988-89 की बात है जब वे कृषि उपज मंडी में चुनाव लड़ रहे थे। दिनभर केइ व्यस्तता में खाना ही नहीं खा पाए थे, रात को जब जोरदार भूख लगी तो एक जायसवाल परिवार ने यहां रात में खाना बनवाकर खिलाया, मैं आज भी नहीं भूल सकता। वे सन् 1988-89 अध्यक्ष कृषि उपज मंडी समिति पंडरिया कवर्धा रहे। 1994 से 1998 तक सचिव मध्य प्रदेश कांग्रेस समिति रहे। 1998 में पहली बार लोरमी विधानसभा से चुनाव लड़े और भाजपा के सिटिंग एमएलए मुनीराम साहू को 19 हजार वोटों से हराया। राज्य बनने के बाद अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने। तब धर्मजीत सिंह भाजपा के विधानसभा उपाध्यक्ष बनवारी लाल अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद धर्मजीत सिंह को पहली बार ही विधायक बने होने के बाद वे विधानसभा उपाध्यक्ष बने। इसके अलावा कई छोटे-छोटे पदों पर रहे।
16 हजार वोटों से हराकर दूसरी बार बने थे विधायक
2003 के विधानसभा चुनाव में धर्मजीत सिंह ने दूसरी बार भाजपा के प्रत्याशी मुनीराम साहू को 16 हजार वोटो से हराया और दूसरी बार विधायक चुने गए। 2008 के चुनाव में उन्होंने भाजपा के जवाहर साहू को 5 हजार वोटो से शिकस्त दी और तीसरी बार विधायक चुने गए। सामाजिक समीकरण धर्मजीत सिंह के पक्ष में ना होने के पश्चात भी वह लगातार तीन बार लोरमी से विधायक बने। पर चौथी बार उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में लोरमी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू से 6 हजार वोटों से हार मिली।
जिस भी पार्टी से चुनाव लड़े, जीते ही
अजीत जोगी ने जोगी कांग्रेस का गठन किया तब धर्मजीत सिंह ने भी कांग्रेस छोड़ जोगी कांग्रेस का दामन थाम लिया। अजीत जोगी की छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस से 2018 में धर्मजीत सिंह ने लोरमी विधानसभा में ताल ठोंकी और उन्होंने भाजपा के तोखन साहू के विरुद्ध 67742 वोट हासिल किए। जबकि तोखन साहू को 42189 वोट मिले। अजीत जोगी के निधन के बाद उनका जोगी कांग्रेस के नेतृत्व से मोहभंग हो गया जिसके बाद उन्होंने भाजपा प्रवेश कर लिया। धर्मजीत सिंह को सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा कार्य के लिए अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय ने पीएचडी की मानद उपाधि भी प्रदान की है।
इस बार तखतपुर से दांव
धर्मजीत सिंह को विधानसभा 2023 के चुनाव में तखतपुर से भाजपा प्रत्याशी बनाया गया है। जैसे ही उनका भाजपा में प्रवेश हुआ, यह कयास लगाया जाने लगा था कि इस बार तखतपुर सीट को भाजपा के खाते में डालना है। भाजपा के आला नेताओं ने इसके लिए तखतपुर विधानसभा जो कांग्रेस के रश्मि आशीष सिंह कब्जे में है। उसको बीजेपी के खाते में लाना है। जातीय समीकरण और कांग्रेस में गुटबाजी का फायदा लेने के लिए कददावर नेता जो समीप के लोरमी विधानसभा के विधायक भी है, उसे उतारकर तगड़ा दांव लगाया है। नदी के इस पार और उस पार वाली रणनीति के तहत धर्मजीत सिंह के लिए तखतपुर विधानसभा कोई नया नहीं है। वे कहते हैं कि तखतपुर विधानसभा के कई क्षेत्र के लोग लोरमी में विभिन्न कार्यों के लिए मुझसे संपर्क में पहले से ही रहे है। वहीं बिलासपुर में मेरा घर है जिससे उस्लापुर, घुरू, सकरी, हांफा, निरतू, घुटकू, गनियारी के लोगों से मेरा लगाव शुरू से ही रहा है। निश्चित ही पूरे 90 विधानसभा में दो वर्तमान विधायक तखतपुर विधानसभा से चुनाव लड़ रहे है। सभी की निगाहें इस विधानसभा में टिकी हुई है। 3 दिसंबर 2024 को पता चलेगा कि दोनों वर्तमान विधायक में से किसी एक को पूर्व का तमगा मिलेगा।