@ रजत जयंती समारोह के तहत आरके नगर लिंगियाडीह बिलासपुर में 24 कुंडीय गायत्री यज्ञ में आज दीप यज्ञ
@ कल 8 दिसम्बर को होगा सम्पन्न, सुबह होंगे विभिन्न संस्कार, रात 9 बजे होगा दीप यज्ञ

संतोष श्रीवास पत्रकार मो 9098156126
बिलासपुर। 24 कुंडीय गायत्री यज्ञ में हरिद्वार से पधारे आचार्य प्रमोद बारचे ने कहा कि हर युग में धर्म की स्थापना के लिए ही युद्ध हुआ। आज भी उसी तरह परमात्मा का अवतरण हुआ है। विचार शक्ति बहुत पावर फूल है। मनुष्य चिंतन के अनुसार चलता है। आज के समय युग शक्ति के रूप में गायत्री का अवतरण हुआ है। त्रेता युग में परिवर्तन का मूल स्वरूप क्या था, वह था मर्यादा। इसलिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम कहलाया। क्योंकि उन्होंने मर्यादा का ध्यान में रखकर काम किया। उन्होंने पिता, पत्नी, माता, भाई, प्रजा आदि सभी के साथ मर्यादा का स्वरूप प्रस्तुत किया। सुग्रीव, भरत, लक्ष्मण, सीता, हनुमान, केकई, जटायु सहित सभी ने मर्यादा को धारण किया। लेकिन सबसे ज्यादा जिन्होंने धारण किया वह थे मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी। इसलिए उसे अवतारी पुरुष के रूप में जाना गया।

गिलहरी भी भगवान के काम आया था
परिवर्तन सामान्य मनुष्य के बस की बात नहीं है। परिवर्तन करने वाला पावरफुल व्यक्ति होता है। परिवर्तन विचारों से आता है। इसके लिए अपने घर में देव स्थापना होनी चाहिए। परमात्मा का जब उदघोष होता है तब जीवंत और जागृत होता है वह सक्रिय हो जाता है। गिलहरी इसका जीवंत उदाहरण है। जब श्रीराम जी श्रीलंका जा रहे थे तब समुद्र में पुल बांधने का काम हो रहा था, रीछ, वानर बड़े बड़े पत्थर ला कर पुल बांध रहे थे, इसी बीच गिलहरी ने पानी में लोट कर सुखी रेत लेकर जाती और पुल में डालती जाती थी। तब कई वानर हंसे और उन्हें कहा कि इतने रेत से कुछ होने वाला नहीं है,, तब गिलहरी ने कहा,, क्या हुआ मेरा काम है प्रभु के कार्य में सहयोग देना। मै वहीं कर रहा हूं,,तब भगवान श्री राम प्रसन्न हुए और उसके ऊपर हाथ फेरा था। जो आज भी दिखाया है।

शादी ब्याह के आड में हो रहा है शोषण
प्रदर्शन करने का प्रचलन हो गया है। लोग रील बना बना कर लोग प्रदर्शन कर रहे है। खर्चीली कुरीतियों के कारण लोग दिखावा कर रहे है। विवाह आज समस्या हो गया है क्योंकि उसमें दिखावा समा चुका है। हमारी लड़की ऐसे घर में जाए जहां हमारी लड़की को कोई काम करना ना पड़े। ऐसा लड़का चाहिए जो हमारी बेटी को रानी की तरह रखे। फोटो बढ़िया आना चाहिए। मेकअप करके बदलकर बदलकर कपड़े पहन कर फोटो सेक्शन हो। तरह तरह के खाना स्टॉल लगाकर दिखाना। सुखी दाम्पत्य जीवन के वैदिक रीति से विवाह करना चाहिए। हम मनुष्य है मनुष्य की तरह जीवन जीना चाहिए। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। अकेले जीवन नहीं जिया जा सकता है।


