@ नवरात्र सहित बाकी दिनों में मां दुर्गा के रूप में की जाती है पूजा
@ मंदिर के सामने गरूड़ स्तंभ स्थापित है, मां दंतेश्वरी यहां देवी नारायणी स्वरूप में विराजित हैं
@ एक विशेष जनजाति द्वारा की जाती है मां दंतेश्वरी देवी को जड़ी बूटी से स्नान

राकेश पांडे, बस्तर।
दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ संभवत: देश का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां देवी दंतेश्वरी नवरात्रि और बाकी दिनों में शक्ति स्वरूपा दुर्गा के रूप में पूजी जाती हैं, तो दीपावली पर उनका मां लक्ष्मी स्वरूप में पूजन होता है। यह पूजन एक दिन नहीं बल्कि पूरे 9 दिनों तक चलता है, जिसे तुलसी पानी विधान कहा जाता है। मां दंतेश्वरी शक्तिपीठ के पुजारी लोकेंद्र नाथ जिया के मुताबिक इस शक्तिपीठ में मांईजी, देवी नारायणी स्वरूप में विराजित हैं । यही वजह है कि यहां पर मंदिर के सामने गरूड़ स्तंभ स्थापित हैं, जो अन्यत्र किसी भी देवी मंदिर में नहीं मिलता । मां दंतेश्वरी को आज दीपावली के अवसर पर सात प्रकार की जड़ी-बूटी के जल से स्नान कराकर पूजा-अर्चना की जाएगी। इस परंपरा को कतियार परिवार के सदस्य शताब्दियाें से निभा रहे हैं। माना जाता है कि इस स्नान-विधि से देवी का शुद्धिकरण होता है, और आज के पर्व की शुरुआत में विशेष पूजा-कार्य किया जाएगा।

जंगल से लाई हुई जड़ी बूटी से होता है मां का स्नान
दरअसल, दिवाली से ठीक एक दिन पहले दंतेवाड़ा जिले के कतियार परिवार के लोग जंगल से जड़ी बूटी लेकर आए। इस जड़ी बूटी का नाम नहीं बताया जाता और न ही इसकी पहचान बताई जाती है। जिसकी पहचान सिर्फ कतियार परिवार के सदस्य ही कर पाते हैं। जिस 7 जड़ी बूटी से स्नान करवाया जाता है, इसकी फोटो-वीडियो बनाने की भी अनुमति नहीं होती । यहां तक कि जिस जगह इसे उबाला जाता है, वहां भी किसी दूसरे को प्रवेश करने नहीं दिया जाता है। कतियार परिवार के शिवचंद कतियार का कहना है कि ये परंपरागत रस्में हैं, जो पुरखों के समय से चली आ रही हैं, जिसे हम निभा रहे हैं। इसलिए गोपनीयता बनाए रखते हैं।
