क्या है युक्तयुक्तीकरण : शिक्षकों को क्यों करना पड़ रहा है आंदोलन, पढ़े विस्तृत रिपोर्ट

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@ युक्तयुक्तीकरण या मजाक : अब प्राइमरी के छह कक्षाओं के लिए रहेंगे केवल 2 शिक्षक
@ यक्ष प्रश्न – कैसे होगा छह कक्षा की पढ़ाई, शिक्षक बच्चा सम्हाले या पढ़ाई कराएंगे वो भी गुणवत्ता के साथ
@ उन्हीं शिक्षकों से ड्यूटी टाइम में कराए जाते है अन्य गैर शिक्षकीय कार्य
संतोष श्रीवास पत्रकार मो. 9098156126
बिलासपुर/रायपुर। युक्तयुक्तीकरण शब्द लोगों के जुबां पर अचानक आ गया है। इसका कारण है छत्तीसगढ़ शासन का वो फरमान, जो चार जून तक सभी जिलों में शिक्षकों का युक्तयुक्तीकरण किया जाना अनिवार्य था, इसके लिए कलेक्टर, एसपी, डीईओ, बीईओ से लेकर पूरा अमला जुट गया। सन् 2008 में भाजपा के रमन सरकार द्वारा सेटअप जारी किया गया जिसके अनुसार एक प्रधानपाठक और दो सहायक शिक्षक न्यूनतम प्राइमरी स्कूल में होना ही चाहिए। वर्तमान में विष्णु सरकार ने इसे बदल दिया है अब एक प्रधानपाठक और एक सहायक शिक्षक न्यूनतम रूप से प्राइमरी स्कूल में होना चाहिए। इसमें शर्त यह भी है कि एक स्कूल में 60 से कम संख्या होना चाहिए। 60+ छात्र होने पर एक और सहायक शिक्षक मिलेगा। साथ ही प्राइमरी स्कूलों में अब बालवाड़ी नामक एक अतिरिक्त कक्षा  शामिल हो गया जिसे इन्ही शिक्षकों को पढ़ाना है या कहें तो उन छोटे-छोटे बच्चों को सम्हालना भी है। अब प्रश्न उठता है कि यदि एक शिक्षक या प्रधान पाठक छुट्टी पर या शासकीय कार्य से अपने स्कूल से बाहर रहेगा तो क्या एक शिक्षक 60 बच्चों को सम्हाल पाएगा या पांच कक्षाओं को पढ़ा पायेगा। सोच कर ही शिक्षा की गुणवत्ता का अंदाजा लगाया जा सकता है। अब प्रशासन उस स्कूल को प्राइवेट स्कूल से तुलना करना चाह रही है कि रिजल्ट भी बेहतर से बेहतर हो। यह कैसे संभव होगा, यह तो प्रभु ही जानें। हालांकि कुछ शिक्षक हाईकोर्ट के शरण में चले गए है।

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शिक्षा की गुणवत्ता हासिए पर
10463 स्कूल के मर्ज होने से छत्तीसगढ़ सरकार को लगभग 31 करोड़ 38 लाख 90 हजार की बचत तो हो रही है।  साथ ही इन स्कूलों को जारी राशि के आहरण पर रोक लगा दी गई है। सरकार को इससे दोहरा लाभ हो रहा है।  लेकिन शिक्षा की गुणवत्ता को सरकार दरकिनार कर सिर्फ और सिर्फ पैसा बचाने की सोच रही है।

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मीडिल स्कूल का सेटअप पहले और अब
2008 के सेटअप अनुसार न्यूनतम 1+4 याने एक प्रधानपाठक और चार शिक्षक अनिवार्य था। जिसे नए सेटअप अनुसार 1+3 कर दिया गया है। याने प्रत्येक स्कूल में एक शिक्षक अतिशेष हो गए है। 18 पीरियड प्रतिदिन पढ़ाना होगा और शिक्षक होंगे मात्र चार। अब प्रश्न उठता है कि शिक्षा की गुणवत्ता कैसे आएगी। इसके अलावा प्रधानपाठक को अन्य कार्य के साथ-साथ पढ़ाई भी कराना होगा। यदि कोई शिक्षक बीमार है या स्कूल नहीं आ पा रहे है उस स्थिति में पढ़ाई तो कल्पना से परे है।

क्या है बालवाड़ी
आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चे जिसकी उम्र 6 साल से कम है, उसे प्राइमरी स्कूल में ही बालवाड़ी के रूप में पढ़ाया जाना है। इसमें दो घंटा बच्चों को स्कूल बुलाकर पढ़ाई कराना है। हालांकि इसके लिए हर माह शिक्षकों को 5 से 10 हजार रुपए शासन देती है। बालवाड़ी का उद्देश्य बच्चों को स्कूल आने के प्रेरित करना है। हर स्कूल में एक शिक्षक को बालवाड़ी का प्रभारी बना दिया गया है। अब एक प्राइमरी शिक्षक को 6 कक्षा पढ़ाना पड़ेगा।

यह अतिरिक्त कार्य करना होता है एक प्रधानपाठक को
प्रधानपाठक को पढ़ाई के अलावा बच्चों की भर्ती से लेकर मध्यान्ह भोजन, जाति निवास प्रमाण पत्र बनवाना, छात्रवृत्ति, अपार आईडी के साथ उपस्थिति पंजी को बीई आफिस तक पहुंचाना, छात्र दर्ज संख्या की जानकारी आदि कार्य शामिल है।

अभी भी 43243 पद है रिक्त

संघ के पदाधिकारियों ने कहा है कि 31 जनवरी 2025 में शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया है कि सहायक शिक्षक के 33178 पद, शिक्षक के 5442 पद व व्याख्याता के 4623 पद, कुल 43243 पद रिक्त है। स्वाभाविक रूप से यह पद सेटअप के अनुसार ही रिक्त है। फिर शासन सेटअप का पालन क्यो नही कर रही है ? क्या रिक्त पदों में योग्य प्रशिक्षित बेरोजगारों के भर्ती के खिलाफ है ? क्या सरकार डीएड, बीएड, टेट योग्यताधारी बेरोजगारों को नौकरी से वंचित करना चाहती है।

इन प्रश्नों का जवाब चाहते है शिक्षक

छग टीचर्स एसो. के प्रदेश अध्यक्ष संजय शर्मा एवं ब्लाक अध्यक्ष हरीश दीवान ने कहा कि हम शासन से कुछ प्रश्न करते है जिसके कारण इस युक्ति युक्तिकरण का विरोध कर रहे है
जैसे
0 स्कूल में अतिशेष हुए क्यो शिक्षक -?
0 2 शिक्षक 18 पीरियड कैसे पढ़ाएंगे ?
0 कामर्स 6 कालखंड में 1 व्याख्याता कैसे ?
0 43243 शिक्षक पद रिक्त
0 शिक्षक विहीन व एकल शिक्षकीय शाला क्यो है ?
0 ड्राप आउट का कारण अलग अलग क्यों है
0 शिक्षक संगठन क्यों है विरोध में

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