संतोष श्रीवास पत्रकार मो 9098156126
बेलसरी, तखतपुर। शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे टोली नायक श्री प्रमोद वारचे ने यज्ञ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम जो यज्ञ करते हैं यह है अग्निहोत्री यज्ञ। देव पूजा, दान और संगतिकरण देवपूजा से यज्ञ संपन्न होता है। विभिन्न देवों का पूजन ही देव पूजा है। अलग अलग देवी देवता अलग अलग गुणों का पूजा किया जाता है। गुण के अनुसार मूर्ति बनाई जाती है। दान अर्थात दीजिए। देते रहने का भाव होना ही दान है। अच्छी बातों को अपना कर ही अच्छी संगति बनाएं और अपने कार्यों को अच्छी संगति में लगाएं। इन तीन बातों से ही समाज का निर्माण हुआ जा सकता है। यजुर्वेद के यज्ञ का इसका वर्णन है। 1970 में गुरुदेव ने ब्रह्मवर्चस्व की स्थापना की और कई मंत्रों पर रिसर्च किया।
वेदमाता की उपासना क्यों करें

वेदमाता की उपासना से समझने की क्षमता बढ़ती है। वेद माता गायत्री उपासना करता है उसको चीजे समझ में आने लगती लगती है। वैज्ञानिक, इंजीनियर और एक होता है मैकेनिक। वैज्ञानिक सिद्धांत पर एक कल्पना देता है कि देखो यह यह सिद्धांत है। सिद्धांत पर ऐसा कुछ बन सकता है वह है इंजीनियर। उसके दिए हुए सिद्धांत के आधार पर एक मशीन बनाता है और मैकेनिक उसे मशीन में कुछ खराबी आए तो उसका पुर्जा बदल देता है। वह सिद्धांत को नहीं जानता उसकी इंजीनियरिंग नहीं जानता है, फिर भी उसे ठीक कर देता है। इस तरह वेदमाता की उपासना करने वाला अपने समझ और शक्ति को बढ़ाता है
यज्ञ करने से क्या परिणाम होता है
अग्निहोत्री यज्ञ को करने का बहुत बड़ा परिणाम भी आता है, परंतु यज्ञ केवल इतनी तक सीमित नहीं है। यज्ञ शब्द का बहुत विराट अर्थ होता है। यज्ञ के लिए कहा गया है यह विश्व ब्रह्मांड का केंद्र है। यज्ञ सारा जो विश्व ब्रह्मांड चल रहा है जो भी गतिविधियां हमारे आसपास चल रही है। धरती, आकाश, सूर्य, ग्रह नक्षत्र और धरती पर जो भी गतिविधियां हमको दिखाई पड़ रही है उन सब क्या केंद्र में यज्ञ ही है। इसकी थीम क्या है इस विचार पर पूरे संसार चल रहा है।
प्रकृति अपने नियमित समय पर कर रही कार्य

सूर्य लगातार जल रहा है हाइड्रोजन, हीलियम लगातार जल रहे हैं । सूर्य की नहीं जलेगा तो हमारा जीवन भी नहीं चलेगा। सूर्य जालना बंद कर दे तो सारी धरती नष्ट हो जाएगी या ऐसे जो भी ग्रह है जहां जीवन है। सूर्य जलता रहता है तो हमारा जीवन चल रहा है तो हमारी धरती पर जीवन चल रहा है। धरती हमारी अपनी धुरी पर बराबर घूम रही है टाइम से तो हमारा जीवन चल रहा है। धरती का तापमान कम ज्यादा होता है तो हवाएं चलती है वृक्ष, वनस्पति, धूप, गर्मी बारिश में खड़े हैं हमको ऑक्सीजन दे रहे हैं लकड़ी दे रहे हैं औषधीय दे रहे हैं। पता नहीं कैसे समुद्र का पानी आकर हमारे गांव के ऊपर बरस जाता है। यह सब क्या चल रहा है सब अपना अपना कर्तव्य कर रहे हैं। संसार को चलाने के लिए संसार की हर एक वस्तु कोई न कोई योगदान कर रही है। हर चीज कोई न कोई योगदान कर रही है। एक छोटा सा पाया जाता है मिट्टी में वह भी मिट्टी को उर्वरा शक्ति देता है इसकी भी अपनी ड्यूटी योगदान देते हैं जीव जंतु पशु पक्षी सब योगदान दे रहे हैं।
जीवन में परेशानी क्यों आती है
शास्त्रों में यह बातें लिखी हुई है जीवन क्यों है, संसार क्यों है, प्रकृति क्यों है, परमात्मा की अवधारणा क्यों है , धर्म की अवधारणा क्या है, लेकिन हम शास्त्रों को पढ़ते नहीं,,? गीता हम पढ़ते नहीं, लेकिन हमारे घर में कोई किताब नहीं है, हम कुछ जानना नहीं चाहते, जीवन के बारे में समस्याओं में उलझे रहे फिर हम बोलते हैं कि हमारा स्थिति खराब हो रही है जीवन में परेशानी आ रही है।
जिसके जैसे संस्कार होते है वैसे ही करता है : बारचे
आपका संस्कार वैसा बन जाएगा जैसा आप कार्य करते है। और उसका फल भी वैसा मिलता है। संस्कारों का बड़ा महत्व है तो संस्कार मनुष्य के ठीक हो जाए इसलिए संस्कृति विकसित की गई। संस्कृति क्या है,,,?संस्कृति मनुष्य के संस्कारों को ठीक कर देती है, संस्कार ठीक हो जाते हैं तो मनुष्य का जीवन सुखी बनता है और सही रास्ते पर चलने लगता है, तो संस्कारों को बदला जा सकता है।
इनकी रही है महत्वपूर्ण भूमिका
राजाराम दुबे, सीताराम श्रीवास, बांके बिहारी दुबे, लक्ष्मी श्रीवास, नर्मदा रजक, संदीप यादव, मुन्ना श्रीवास, लखन श्रीवास, रामकुमार श्रीवास, नंदनी पाटनवर, धन साय बैगा, गायत्री साहू, प्रदीप कौशिक, जागेश्वरी साहू, मदन गोपाल श्रीवास, मनीष श्रीवास, नलिनी कश्यप, श्रीमती फुलेश्वरी, श्रीमती आशा धुर्वे, मनोरमा कोरी सहित अनेक ग्रामवासी उपस्थित थे।