पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार के खिलाफ खोल दिया था मोर्चा, कांग्रेस ने सीबीआई जांच की कर डाली थी मांग
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव में चल रही पुलिस भर्ती प्रक्रिया को आखिरकार राज्य शासन ने रद्द करने का फैसला कर लिया। इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। साथ ही भर्ती में घोटाले का आरोप लगाते हुए सीबीआई जांच की मांग की जा रही थी। हालांकि इस मामले में पुलिस ने अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें दो महिला आरोपी भी शामिल है। इस मामले में कहा जा रहा है कि भर्ती प्रक्रिया रद्द करने का निर्णय मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर गृह मंत्री विजय शर्मा द्वारा लिया गया है. पुलिस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप सामने आने के बाद इस कदम को उठाया गया है. अब इस मामले की जांच की जाएगी और भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शिता के साथ पुनः शुरू किया जाएगा।
फर्जीवाड़े की खुलती जा रही परतें
राजनांदगांव पुलिस भर्ती फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट में फर्जीवाड़े के मामले की परतें खुलती जा रही हैं. भर्ती प्रक्रिया के दौरान सॉफ्टवेयर में 31 अभ्यर्थियों का डेटा संदिग्ध पाया गया है, जिनमें से एक मीना पात्रे का नाम सामने आया है. मंगलवार को लालबाग पुलिस ने कबीरधाम जिले के बांधा पंडरिया निवासी 32 वर्षीय मीना पात्रे को गिरफ्तार किया और उसे जेल भेज दिया.
संदिग्ध डाटा की जांच जारी
इस मामले में जिन अन्य अभ्यर्थियों का डेटा संदिग्ध पाया गया है, उनका सत्यापन किया जा रहा है, और सत्यापन के बाद उनके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इससे पहले, पुलिस ने शारीरिक दक्षता परीक्षा में फर्जीवाड़ा करने के आरोप में चार पुलिसकर्मियों और टाइमिंग टेक्नालाजी कंपनी के दो कर्मचारियों को गिरफ्तार किया था. इस प्रकार, अब तक कुल सात लोग इस मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं.
14 दिसंबर को मीना पात्रे पेंड्री स्थित आठवीं बटालियन में फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट देने आई थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इवेंट के दौरान उसने पुलिसकर्मी को आर्थिक लालच देने की कोशिश की थी. यह बात सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल चैटिंग मैसेज और गवाहों के बयान से सामने आई. पुलिस ने मीना को हिरासत में लेकर कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में उसने यह स्वीकार किया कि उसने एक परिचित पुलिसकर्मी के माध्यम से आर्थिक लाभ देने की कोशिश की थी।खासकर गोला फेंक इवेंट के दौरान मीना को 20 में से 20 अंक मिले थे, जिस पर डीएसपी तनुप्रिया को शक हुआ. इसके बाद मैनुअल और सॉफ्टवेयर की जांच में पाया गया कि उसे 11 अंक की जगह 20 अंक दिए गए थे.
कब शुरू हुआ मामला
16 नवंबर से राजनांदगांव जिले में पुलिस कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई थी. लेकिन 14 दिसंबर को पैसे लेकर पक्षपात करने का मामला सामने आया. 17 दिसंबर को डीएसपी तनुप्रिया ठाकुर ने लालबाग थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई. 21 दिसंबर को इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल 14 संदिग्ध कांस्टेबलों में से एक ने आत्महत्या कर ली थी. 25 साल के अनिल रत्नाकर ने अपनी हथेली पर एक सुसाइड नोट लिखा था, जिसमें कहा गया था, “कर्मचारियों को फंसाया जा रहा है और अफसरों को बचाया जा रहा है. इसमें सभी शामिल हैं.”
कैसे हुई धांधली?
जांच में खुलासा हुआ कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान पैसे लेकर उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाया गया. शॉट पुट इवेंट में उम्मीदवार मीना पात्रे को पहले 11 अंक मिले थे, लेकिन उनके अंक बढ़ाकर 20 कर दिए गए. अभी तक जांच में 3000 से अधिक उम्मीदवारों को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अंकों की गलत एंट्री का मामला सामने आया है.
क्या है नियम?
पुलिस भर्ती प्रक्रिया में किसी इवेंट में असफल होने पर दोबारा मौका नहीं दिया जाता. लेकिन इस मामले में सभी इवेंट पैसे लेकर पास करवाए गए. यह मामला छत्तीसगढ़ में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है. जांच जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही सच्चाई सामने आएगी।
छत्तीसगढ़ पुलिस भर्ती: 10 वर्षों के विवाद और गड़बड़ी से नाता
छत्तीसगढ़ में पुलिस भर्ती प्रक्रियाएं पिछले एक दशक से विवादों और गड़बड़ियों का केंद्र रही हैं। हर बार पारदर्शिता और निष्पक्षता के वादे किए गए, लेकिन भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, और प्रक्रियात्मक खामियों ने इन भर्तियों की साख पर सवाल खड़े कर दिए।
1/2014: अंकों में हेरफेर का मामला
2014 में दुर्ग जिले में पुलिस भर्ती के दौरान अंकों में हेरफेर का मामला सामने आया। साक्षात्कार के अंकों को जानबूझकर बढ़ाने के आरोप लगे, जिससे कई अयोग्य उम्मीदवार चयनित हो गए।
प्रमुख घटनाएं:
मैन्युअल स्कोर शीट में हेरफेर।
योग्य उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करना
2/2017: शारीरिक परीक्षण में पक्षपात
2017 में बिलासपुर जिले में शारीरिक दक्षता परीक्षण में फर्जीवाड़ा हुआ। आरोप था कि उच्च अधिकारियों ने अपने करीबी उम्मीदवारों को नियमों के विपरीत पास करवाया।
घोटाले के परिणाम:
50 से अधिक उम्मीदवारों का चयन रद्द।
जांच समिति का गठन, लेकिन दोषियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई
3/2020: सॉफ्टवेयर गड़बड़ी
2020 में पहली बार भर्ती प्रक्रिया में तकनीकी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ, लेकिन इसी तकनीक ने गड़बड़ी को बढ़ावा दिया। रायपुर में शॉट पुट और दौड़ के अंकों में बदलाव पाया गया।
मुख्य तथ्य:
तकनीकी टीम की मिलीभगत उजागर।
भर्ती प्रक्रिया को रद्द किया गया।
4/2023: फर्जी दस्तावेजों का उपयोग
2023 में बस्तर में पुलिस भर्ती के दौरान कई उम्मीदवारों ने फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया। जांच में पाया गया कि कुछ उम्मीदवारों ने उम्र और योग्यता में झूठी जानकारी दी थी।
परिणाम:
15 उम्मीदवारों की गिरफ्तारी।
भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल।