संतोष श्रीवास पत्रकार मो. 9098156126 विचार प्रवाह (कालम) बेटे और बेटी में भेद करने वाली मानसिकता को समाज के लिए कलंक माना जाता है। आज के समय में बेटियां अपने माता-पिता का नाम देश और दुनिया में रोशन कर रही है। बेटियां पढ़ लिखकर समाज को एक नई दिशा देने का काम कर रही है। ऐसे समय में भी बेटे और बेटी में भेद करते हुए मासूम की हत्या विचलित करने वाली है। और शिक्षा के उन दावों को भी खोखला साबित करती है कि अब हम माडर्न और शिक्षित हो चुके है। इस पर समाज और प्रशासन को सोचना चाहिए। अगर पालन पोषण नहीं कर सकते तो पैदा ही नहीं करना चाहिए। कुछ प्राकृतिक आपदा के कारण बेसहारा हुए लोगों को छोड़ दें तो भी शिक्षा और समग्र विकास पर शासन और समाज में अभी बहुत काम करना बाकी है। आज भी बेटियां पैदा होने पर मां का दोष माना जाता है और उसे प्रताड़ित किया जाता है। मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना दी जाती है। वर्तमान समय में जब बेटियां आगे बढ़कर देश दुनिया में मान सम्मान कमा रही है, तब इस तरह की घटना सामने आना सोचनीय है। इस पर समाज को चिंतन करना चाहिए। कहते है कि एक बच्चे के लिए दुनिया में यदि सबसे सुरक्षित जगह है तो वह है मां का आंचल। लेकिन इस तरह की घटना से मां का आंचल भी सुरक्षित नहीं रहा। मृत बच्ची अपने मां से बार-बार पूछ रही होगी कि हे मां… बेटे की चाह में मुझे क्यों मार डाला।
घटना के संदर्भ में मस्तूरी क्षेत्र के किरारी में रहने वाली आरोपित मां हसीन गोयल ने अपने 24 दिन के बेटी को घर के पास ही कुएं में फेंक दी और पति करण गोयल को रात में बताया कि उसकी बेटी अचानक गायब हो गई है। तब पति ने मस्तूरी थाना में अपहरण की शिकायत दर्ज कराया था। इस दौरान गांव में चर्चा रहा कि तीन बेटियां होने के बाद से महिला परेशानी थीं, उसने कहीं पर सुन रखा था कि एक बेटी को गंगा में प्रवाहित कर देने पर बेटा पैदा होता है। इसी अंधविश्वास के कारण उसने अपनी बेटी को जिंदा ही कुएं में फेंक दिया। हसीन गोयल खुद ही अपने मा-बाप की तीसरी बेटी थी। जबकि हसीन के खुद 5 भाई बहन है। हसीन के पिता विषंभर बर्मन ने अपनी बेटी के इस कृत्य को गलत बताया और कहा कि आज के परिस्थिति में बेटा-बेटी में भेद करना अनुचित है। अगर वे पालने में सक्षम नहीं थी, तो हम उसका लालन पालन कर सकते थे। बच्चों में ना हो भेद : एसपी बेटे की चाह में महज 24 दिन की बेटी की हत्या का मामला सामने आने के बाद एसपी रजनेश सिंह ने अपील करते हुए कहा कि यह कृत्य पूरे समाज के प्रति एक गंभीर और अमानवीय अपराध है। यह हृदय विदारक है। माता-पिता और एक परिवार के तौर पर हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम लड़के और लड़की में विभेद ना करते हुए उन्हें समान प्रेम, संस्कार और परवरिश दें। मामले की खोजबीन में चार महिला प्रमुख रहीं
इस मामले में खुद एएसपी अर्चना झा, सरकंडा थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक संगीता नेताम, मस्तूरी थाने में पदस्थ आरक्षक चंदा यादव और मीना राठौर ने संदेहियों से पूछताछ की और पूरे मामले का पर्दाफाश करने में महती भूमिका निभाई। मान सम्मान में न हो कमी इसलिए मार डाला : हसीन
मस्तूरी थाना प्रभारी अवनीश पासवान ने बताया कि हसीन से जब पूछताछ किया गया तो उन्होंने गुमराह करने की कोशिश की। मनोवैज्ञानिक तरीके से जब पूछताछ किया गया तो हसीन ने बताया कि वे तीसरी बेटी होने के बाद से वह परेशान थी। सुसुराल में मान सम्मान कम हो जाने की बात हमेशा उसके दिमाग मेुं आ रही थी। इसी उलझन में उसने अपनी तीसरी बेटी को कुएं में फेंक देने का निर्णय लिया।