प्रेस क्लब के हमर पहुंना कार्यक्रम में पुलिसिंग और नए कानून के बारे में बिलासपुर आईजी डॉ. संजीव ने विस्तार से दी जानकारी
संतोष श्रीवास पत्रकार मो 9098156126
बिलासपुर। पुलिसिंग में सबसे बड़ी चुनौती लोगों का विश्वास हासिल करना है। पुलिस में भी चुनौती बढ़ी है, सोशल मीडिया का जमाना है, चलते फिरते लोगों के पास कैमरा, मोबाइल से लेकर अन्य माध्यम दिनभर रहता है। छोटे से छोटे चीजों वीडियो बनाकर तेजी से वायरल किया जा रहा है। अपराध का स्वरूप भी बदला है। पहले चोर चोरी करता था, और पकड़ा जाता था। अब विदेश में बैठा आदमी यहां अपराध कर सकता है। साइबर फ्रॉड बढ़ गया है। कोई भी आदमी कही भी बैठे बैठे अपराध कर रहा है। पुलिस को इन्हे पकड़ने चुनौती बनी हुई है। यदि पुलिस अफसर अपने क्षेत्र की जनता के नब्ज को समझ गया और उनके भरोसे को जीत गया तो बड़े से बड़े अपराधिक मामले को घटने से पहले ही रोका जा सकेगा। यह बाते बिलासपुर रेंज के आईजी डॉ.संजीव शुक्ला ने बिलासपुर प्रेस क्लब के हमर पहुंना कार्यक्रम के दौरान कही।
बचपन से नाता रहा है बिलासपुर से
उन्होने पुलिसिंग में चुनौतियों और 1 जुलाई से लागू नए कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की। आईजी डॉ.शुक्ला ने बिलासपुर से जुड़े अपने पुराने किस्से भी बताए। उन्होने बताया की बिलासपुर उनका ननिहाल है, बचपन में वो यहां अपनी अम्मा के साथ नानी के यहां आते थे। ग्रेजुएशन रायपुर में कामर्स विषय के साथ करने के बाद एम फिल की पढ़ाई के लिए बिलासपुर गुरूघासीदास विश्वविद्यालय पहुंचे। पढ़ाई के दौरान बिलासपुर से ही सन् 1988-89 में पीएससी का एग्जाम दिया। सन् 1990 में बस्तर के सीएसपी रहे। 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना तो बिलासपुर के ही कोतवाली सीएसपी बनाए गए। इस दौरान उन्होने बिलासपुर से ही वाणिज्य विषय में पीएचडी कर डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। यहां एसपी रेडियो भी रहे। वर्तमान में बिलासपुर रेंज के आईजी है। उन्होने कहा कि 35 साल के सेवा में उनका बिलासपुर से गहरा लगाव रहा।
कोर्ट मे 60 दिन के भीतर अपराध तय कर चालान पेश करना ही होगा
नए कानूनों के बारे में उन्होंने कहा कि ये प्रार्थी के पक्ष को मजबूत करने और उन्हें सुविधा देने के तर्ज पर बने है। अब कोई भी थानेदार किसी प्रार्थी को यह नहीं कह सकता कि अपराध मेरे थाना क्षेत्र में नहीं हुआ है। ऐसे में एफआईआर नहीं करुंगा। उसे शून्य में अपराध दर्ज करना ही होगा। नहीं तो थानेदार पर कार्रवाई हो जाएगी। कोर्ट मे 60 दिन के भीतर अपराध तय कर चालान पेश करना ही होगा। अब किसी भी गवाह को कोर्ट में बयान देने दिनभर इंतजार नहीं करना पड़ेगा। उसे अधिकार मिला है कि वो वीडियों क्रंफ्रेसिंग के जरिए अपना बयान दर्ज करा सकता है। लोगों को ई-एफआईआर तक की सुविधा दी गई है।
नए कानून से थोड़ी दिक्कत तो आयेगी, पर जल्द ही रूटीन में लाया जाएगा
आईजी डॉ. शुक्ला ने नए कानून के बारे में जानकारी देते हुए कहाकि जो आईपीसी के तहत अपराध दर्ज होने के साथ ही कोर्ट में फैसले असानी से हो जाते थे। अब नया कानून आने से उसमें थोड़ी कठनाई तो होगी। अभी ये नया-नया बना है। अब मामले कोर्ट में जाएगें। वहां हजारों मामलों में फैसले होगे। कोर्ट उसपर कई डिसीजन देगा। कुछ मामलों में सुधार के भी निर्देश मिलेगें। हमने अभी नए कानून का प्रारूप पढ़ा है। ये बेयर एक्ट है। अभी तो उसपर पुरा डिसीजन आना बाकी है। जिस तरह आईपीसी चलती थी वैसे सरल स्थिती में नए कानून को आने में 150 साल का भी समय लग जाएगा।
बिलासपुर में बड़ी समस्या है ट्रैफिक जाम
बिलासपुर में ट्राफिक की सबसे बड़ा समस्या है। इस शहर के ट्राफिक को 4 दशक से देख रहा है। आज से 35-40 साल पहले गिने चुने लोगों के पास कार होते थे। उंगलियों पर गिना जा सकता था। लेकिन आज हर घर में बाईक और कार है। गोल बाजार-सदर बाजार में दुकाने बढ़ी लेकिन पार्किंग की जगह नहीं है। 4 दशक पहले जितनी पार्किंग की जगह थी अब वो भी नहीं बची इसके चलते ही शहर में ट्राफिक व्यवस्था चरमराई हुई है। इसके अलावा आइजी श्री शुक्ला ने कई तरह के आपराधिक मामलों की जानकारी पत्रकारों से साझा की। इससे पहले प्रेस क्लब अध्यक्ष इरशाद अली,सचिव दिलीप यादव, कोषाध्यक्ष प्रतीक वासनिक,कार्यकारिणी सदस्य गोपीनाथ डे सहित अन्य पत्रकारों ने संजीव शुक्ला का स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में शॉल और श्रीफल से उनका सम्मान कर प्रेस क्लब कार्यकारिणी के द्वारा उन्हें प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया।