संतोष कुमार श्रीवास मो 9098156126 बिलासपुर। होली से जुड़ी कुछ परंपराएं हैं जो सदियों से चली आ रही हैं। आज हम बात करेंगे कुछ ऐसी ही रोचक परंपराओं के बारे में, जिन्हें निभाया तो जाता है लेकिन उसकी पीछे जुड़ी सही वजह पता नहीं है। सास से रिश्ते में न आए खटासः बड़े बुजुर्गों की मान्यता है कि सास और नई बहू को साथ में होली दहन नहीं देखना चाहिए। इससे उनके बीच रिश्तों में दरार पड़ सकती है। एक अन्य मान्यता यह भी है कि नई दुल्हन पर होली की तपिश पड़े तो उसका वैवाहिक जीवन भी तपने लगता है। इसलिए शादी के बाद पहला होलिका दहन पीहर में ही देखा जाता है। अप होली दहन की राख से दूर होगा दोषः एक मान्यता यह भी है कि होलिका दहन से पहले पूजा में गोबर की माला चढ़ाई जाती है। गोबर के जलने से जो धुआं पैदा होता है उससे वास्तु दोष और ग्रह दोष भी दूर होता है। इसी वजह से होलिका दहन की राख को घर लाया जाता है, ताकि घर में किसी भी परेशानी से निजात पाई जा सके। इन मंत्र के जाप करने से पूर्ण होगी मनोकामना ॐ होलिकायै नम:, ॐ प्रह्लादाय नम: और ॐ नृसिंहाय नम: मंत्रों का जाप किया जा सकता है. होलिका दहन कर लेने के बाद अपनी इच्छाओं की पूर्ति की मनोकामना की जाती है. अहकूटा भयत्रस्तैः कृता त्वं होलि बालिशैः। अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम्। वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च। अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।
पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है। होलिका शाम के समय जलाई जाती है। इस दिन से विशेष धार्मिक मान्यता भी जुड़ी हुई है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप की बहन होलिका के अग्नि में भस्म हो जाने के बाद से होलिका दहन की शुरूआत हुई थी। गली के चौराहे या किसी मैदान में लकड़ियों और कंडों को जमा करके ढेर तैयार किया जाता है और शाम के समय शुभ मुहूर्त में इसकी परिक्रमा करके पूजा की जाती है. इसके अगले दिन ही रंग खेलकर होली (Holi) का पर्व मनाया जाता है। तिथि रविवार, 24 मार्च 2024 को होलिका दहन समय: पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – 24 मार्च 2024 को प्रातः 09:54 बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त – 25 मार्च 2024 को दोपहर 12:29 बजे होलिका दहन 2024 का शुभ समय रात 11:13 बजे से रात 12:27 बजेतक है।