क्या,,,! कांग्रेस जातिगत समीकरण के साथ छत्तीसगढ़ में उतारेगी प्रत्याशी या बीजेपी का फिर चलेगा मोदी फैक्टर?

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संतोष कुमार श्रीवास मो. 9098156126
बिलासपुर।भारतीय जनता पार्टी ने छत्तीसगढ़ की सभी 11 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। अब कांग्रेस की बारी है ।भाजपा ने कांग्रेस को भाजपा प्रत्याशियो के मुकाबले जीत सकने योग्य उम्मीदवारों का चयन करने के लिए भरपूर मौका दे दिया है ।अब यह कांग्रेस नेताओ के ऊपर निर्भर करता है कि वे गुटीय राजनीति के तहत अपने अपने समर्थक लोगो को टिकट दिलवाएं या फिर जीतने वाले और चुनाव को कड़ी टक्कर में बदल देने वाले योग्य चेहरों को उम्मीदवार घोषित करवाएं । जातीय समीकरण को आधार मानकर कांग्रेस यदि टिकट वितरण करती है तो कहीं न कहीं मोदी फैक्टर के बाद भी सीजी में कड़ी टक्कर दे सकती है।  पिछले चुनाव में केवल एक सीट पर रही कांग्रेस इस बार जीतिगत फार्मूले पर अपनी सीट बढ़ा भी सकती है।
सरोज पांडे को कोरबा क्यों भेजा गया
भाजपा के घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ बिना राग द्वेष के कांग्रेस के योग्य चेहरों को मौका मिलता है तो बाजी पलट भी सकती है। परिवारवाद का घोर विरोध करने और अक्सर कांग्रेस पर आरोप लगाने वाले भाजपा के नेताओ ने पूर्व राज्यसभा सदस्या सरोज पांडेय को कोरबा सीट से प्रत्याशी बनाया ही है ,सरोज पांडेय की बड़ी बहन मंजू दुबे के देवर आशीष दुबे को जबलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है । सरोज पांडेय को दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी घोषित नहीं करने का मुख्य कारण वहां साहू वोटरो की संख्या अधिक होना माना गया है इसी वजह से सुश्री पांडेय दुर्ग सीट से चुनाव हार चुकी है इसे ध्यान में रख पार्टी ने उन्हें एडजस्ट करने कोरबा भेज दिया है लेकिन कोरबा में भी स्थानीय और बाहरी का मुद्दा पूरे चुनाव में सिर चढ़कर बोलेगा ऐसा माना जा रहा है। कोरबा क्षेत्र में अभी से यह माहौल बनाना शुरू हो गया है कि सुश्री पांडेय चुनाव जीतने के बाद ज्यादातर समय दुर्ग भिलाई में रहेगी ।कोरबा में रहेगी इसकी कोई गारंटी नहीं है।इस मुद्दे के बचाव में भाजपा कौन सा तरीका ढूंढेगी यह तो भाजपा के नेता ही जानें ।
बिलासपुर में कुर्मी को मिले टिकट
जानकारों का मानना है कि कांग्रेस यदि बिलासपुर में कुर्मी, रायपुर और महासमुंद में साहू प्रत्याशी घोषित करती है तो नतीजे प्रभावित हो सकती है यानि भाजपा की जीत आसान नहीं होगी। बिलासपुर में साहू मतदाताओं की संख्या 3 लाख से ऊपर है और अधिकाश साहू मतदाताओं का झुकाव भाजपा प्रत्याशी तोखन साहू की तरफ ही रहेगा ।कांग्रेस यदि योग्य कुर्मी चेहरा को मौका देती है तो कुर्मी मतदाताओं का झुकाव कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में हो सकता है। बिलासपुर लोकसभा में कुर्मी समाज के लोग काफी बहुतायत में है। कुर्मी समाज और साहू समाज के लोग बटेंगे तो मुकाबला हो सकता है दिलचस्प। बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी वोटरों की संख्या साहू मतदाताओं की संख्या के लगभग बराबर या उन्नीस ही है । इस तरह बिलासपुर में चुनाव साहू विरुद्ध कुर्मी वोटरों के बीच केंद्रित हो जायेगा । लोरमी विधानसभा से अरुण साव चुनाव जीतकर उप मुख्यमंत्री और तीन बड़े विभागो के मंत्री बन गए है और अब लोरमी के ही पूर्व विधायक तोखन साहू भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार है इस नाते अरुण साव के ऊपर तोखन साहू को चुनाव जितवाने बड़ी जिम्मेदारी है।
तोखन साहू चुनाव जीत जाते है तो अरुण साव के लिए अगले विधान सभा  चुनाव में  तोखन साहू की दावेदारीकी समस्या नही रहेगी ।वैसे भी तोखन साहू का कहना है कि उसने पार्टी से विधानसभा की टिकट मांगी थी लेकिन उन्हें लोकसभा का प्रत्याशी घोषित कर दिया गया ।
रायपुर में भी कांग्रेस से साहू समाज को टिकट मिलने पर होगा मुकाबला रोचक
रायपुर लोकसभा सीट में भी साहू मतदाताओं की अधिकता है ।कांग्रेस यदि ब्राम्हण के बजाय साहू चेहरे को मौका देती है तो चुनाव रोचक हो जायेगा ।इसी तरह महासमुंद में भाजपा ने पूर्व महिला विधायक  रूप चौधरी को उम्मीदवार घोषित किया है उसको कड़ी टक्कर देने कांग्रेस यदि साहू चेहरे को आगे करती है तो कड़ी टक्कर की स्थिति बन सकती है । 

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