सामाजिक समरसता पर केंद्रित चार दिवसीय अखिल भारतीय कला साधक संगम बंगलुरू में संपन्न जीवन में सफलता के लिए युक्ति, शक्ति, भक्ति एवं मुक्ति की महती आवश्यकता – श्री श्री रविशंकर संतोष कुमार श्रीवास 9098156126 बंगलुरू। कला एवं साहित्य के लिए समर्पित अखिल भारतीय संस्था संस्कार भारती का “सामाजिक समरसता” पर केंद्रित चार दिवसीय अखिल भारतीय कला साधक संगम कर्नाटक के बैंगलुरु स्थित आर्ट ऑफ लिविंग अंतराष्ट्रीय केन्द्र में पूरे देश के विभिन्न प्रांतों से आए हुए लगभग 2000 कला साधकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ। इस चार दिवसीय कला साधक संगम के प्रथम दिवस 1 फरवरी को उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि मैसूर के राजा युद्धवीर चामराज दत्ता, वासुदेव कामत राष्ट्रीय अध्यक्ष संस्कार भारती , विशेष अतिथि रविन्द्र यागवाल प्रसिद्ध तबला वादक, लोक गायक पद्मश्री मंजूमा दीदी मंचासीन रहे । ध्येय गीत के साथ प्रारंभ हुए उद्घाटन सत्र में संस्कार भारती के संस्थापक कला ऋषि पद्मश्री बाबा योगेंद्र एवं संस्कार भारती के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री स्वप्नदृष्टा स्व. अमीर चंद पर केंद्रित पुस्तक “कला दधीचि योगेंद्र” एवं “कला नीतिज्ञ अमीरचंद” का विमोचन किया गया ।
पूर्वोत्तर राज्य के कला साधकों की रही धूम
पूर्वोत्तर राज्य के कला साधकों ने अपने पारंपरिक बांस नृत्य, झाऊ नृत्य, बांसुरी वादन की प्रस्तुति से समा बांधा । इस अवसर पर विभिन्न प्रांतों के चित्रकारों एवं शिल्पकारों द्वारा सामाजिक समरसता पर बनाए गए चित्रों, भू अलंकरण, अल्पना इत्यादि की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी अतिथियों द्वारा किया गया ।
भगवान राम सामाजिक समरसता के आदर्श नायक: मालनी अवस्थी
द्वितीय दिवस 2 फरवरी को सेमिनार की शुरुवात प्रसिद्ध लोकगायिका डा. मालिनी अवस्थी की अध्यक्षता व रविन्द्र किरकोली प्रचारक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, डा. इंदुशेखर तत्पुरुष साहित्यकार जयपुर, डा. अनिल सैकिया रंगमंचीय साहित्य असम, डा. अदिति नारायण पासवान दलित कला विशेषज्ञ के विशेष आतिथ्य में प्रारंभ हुआ । जिसमे “सामाजिक समरसता को पुष्ट करने में कलाओं की भूमिका और प्रभाव” पर सभी विशेषज्ञों ने अपना मंतव्य प्रभावी रूप से रखा । डा. मालनी अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा की भगवान राम सामाजिक समरसता के आदर्श नायक के रूप में सबके मन में स्थापित हैं । विजय दशरथ आचरेकर को मिला वर्ष 2024 का भरत मुनि सम्मान
तृतीय दिवस 3 फरवरी की शुरुवात भारतमुनि सम्मान से हुई । जिसके मुख्य अभ्यागय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहन भागवत, अध्यक्षता श्री वासुदेव कामत ने की । लोककला के संरक्षण व संवर्धन के लिए गणपत सखाराम म्हस्के एवं दृश्य कला के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले विजय दशरथ आचरेकर को वर्ष 2024 का भरत मुनि सम्मान दिया गया । इस अवसर पर मोहन भागवत ने कहा कि संस्कार भारती इतना सामर्थ्यवान बना है कि वो गौरव अर्पण कर सके । यह आयोजन इसका प्रमाण है। उन्होंने कहा की राम मंदिर के निर्माण से भारत का स्व वापस लौटा है। आयोजन में नीतीश भारद्वाज मुंबई द्वारा निर्देशित नाटक “कृष्ण कहे” का मंचन, छऊ लोकनृत्य, मराठी नृत्य नाटिका “वारी वारी जन्माची वारी”, विविध भारतीय भाषाओं में समरसता गीत “समरस संघ सरिता”, लोकनृत्य “बधाई तथा किंदर जोगी, हगलू वेशा, कुचुपुड़ी नृत्य “शबरी के राम”, एवं ट्रांसजेंडर समानता पर सुश्री रेशमा प्रसाद ने प्रोजेक्टर के माध्यम से अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए।
जीवन में अनुशासन एवं मर्यादाओ का रखे ध्यान : श्री श्री रवि शंकर
अंतिम दिवस 4अक्टूबर की शुरुवात समरसता शोभायात्रा से हुई जिसमें विभिन्न प्रांतों से आए हुए कला साधक अपने प्रांत की वेशभूषा में शामिल हुए। समापन समारोह के मुख्य अभ्यागत आर्ट आफ लिविंग के संस्थापक एवं धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर एवं सरसंघचालक मोहन भागवत विशेष रूप से उपस्थित थे। श्री श्री रविशंकर महाराज ने जीवन में सफलता के लिए युक्ति, शक्ति, भक्ति एवं मुक्ति की आवश्यकता प्रतिपादित की । उन्होंने कहा कि आजादी का आशय कुछ भी करना नहीं होता , जीवन में अनुशासन एवं मर्यादाओ का ध्यान हम सभी को रखना चाहिए तभी अपने लक्ष्य की प्राप्ति होती है। कार्यक्रम में संस्कार भारती के प्रांतीय अध्यक्ष रिखी राम क्षत्रिय, महामंत्री हेमंत माहुलीकर, चित्रकला संयोजक चंद्रशेखर देवांगन, भुवनेश्वर चंद्राकर, बालमुकुंद श्रीवास, मोना केंवट,भोजराज धनगर, पंकज यादव, श्रीमती गंगा कौशिक, श्रीमती सूर्यकांता कश्यप, दीक्षा धनगर, दीपिका धनगर, राजेन्द्र राव राऊत, हरिसिंह क्षत्री, श्रीमती सुधा देवांगन, अजय पटनायक, गुलशन खम्हारी, शिव दुबे, आशीष शर्मा, , अरुण दास वैष्णव, पवन पांडे, अरुण दास वैष्णव, दिनेश मिश्रा, रमेश कुलमित्र, पावन पांडेय, वृंदा तांबे, भानुजी राव, सिद्धेश नागले, अखिलेश श्रीवास, लव कुश तिवारी की विशेष उपस्थिति रही।