धान खरीदी में घोटाले की साजिश: कौशिक

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  • प्रदेश में किसान हो रहे बेहाल
  • संतोष कुमार श्रीवास
  • बिलासपुर। भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में पूर्व मंत्री और भाजपा के कद्दावर नेता धरम लाल कौशिक ने कहा की धान खरीदी में राज्य सरकार की मंशा ठीक नही है। धान खरीदी को भी बायो मेट्रिक सिस्टम से की जानी चाहिए। यूपी सहित कई राज्यों में बायो मेट्रिक से धान खरीदी लागू हो चुका है। पीडीएस सिस्टम में बायो मेट्रिक से राशन दिया जा रहा है तो धान खरीदी भी किया जा सकता है। लेकिन छत्तीसगढ सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। राज्य सरकार की बिजली व्यवस्था चरमरा गई है, बिलासपुर जिले में ट्रांसफार्मर को भी नहीं लग पा रहा है। छोटे छोटे कामों के लिए रायपुर जाना पड़ता है। किसानों को पंप कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है। पूरे प्रदेश में किसान बेहाल है।
    उन्होंने बताया कि पिछले खरीफ मौसम में प्रदेश सरकार को धन खरीदी के बाद 61 लाख मीट्रिक टन चावल भारतीय खाद्य निगम को जमा करना था। बाद में यह कोटा राज्य सरकार के अनुरोध पर घटाकर केवल 58 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया और अब तक राज्य की ओर से 58 लाख टन के स्थान पर केवल 53 लाख मीट्रिक टन ही जमा कराया गया है। छत्तीसगढ़ में 107 लाख टन धान की खरीदी की गई, लेकिन केंद्रीय पूल में निर्धारित 58 लाख टन चावल जमा नहीं कर पा रही है। अब राज्य सरकार केंद्र सरकार से कहती है कि 86 लाख मीट्रिक टन चावल सेंट्रल पूल में चावल जमा कर सकते है, जबकि राज्य सरकार ने 3 अगस्त 2023 को पत्र लिख कर सूचना दी है कि अगले खरीफ मौसम में धान का उत्पादन 2022-23 के 138 लाख टन की तुलना में 136 लाख टन होगा। इसका मतलब है, छत्तीसगढ़ में पिछले साल की तुलना में 2 लाख टन धान का उत्पादन कम होगा। ऐसे में धान की खरीदी कैसे ज्यादा होगी, की 86 लाख टन चावल केंद्रीय पूल में जमा करा सकेंगे? इससे सरकार द्वारा धान की खरीदी में घोटाला करने की साजिश दिखाई दे रही है। कांग्रेस की मानसिकता को दिखाती है कि इस मामले में केवल सियासत करना चाहती है।
    गरीबों के चावल राज्य सरकार कर रही अफरा-तफरी
    21 मार्च को विधानसभा के सदन में प्रदेश सरकार ने इस बात को स्वीकारा था कि 13 हजार से अधिक पीडीएस केन्द्रों की जांच की जा रही है जिसकी रिपोर्ट आज तक नहीं आयी है जिसके संदर्भ में जुलाई के सत्र में जब प्रदेश सरकार से जवाब मांगा गया तब न्यायालयीन प्रक्रिया का सहारा लेकर इस पर जवाब नहीं दिया गया। यह स्पष्ट करता है कि प्रदेश में व्यापक घोटाला हुआ है जिस पर पर्दा डालने का काम प्रदेश की कांग्रेस सरकार कर रही है इस पर न्यायालय के तरफ से कोई भी दिशा निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है।

मुख्यमंत्री जनता को भ्रमित कर रहे हैं।

तब प्रश्न यह है कि इस वर्ष धान का उत्पादन कम होने के बात करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किस आधार पर केन्द्रीय पूल 86.5 लाख टन चावल जमा करने की बात कर रहे है। उन्होंने प्रधानमंत्री को क्यों झूठा पत्र लिखा केन्द्रीय पूल में 86.5 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की बता कहीं है। भूपेश बघेल को चावल का कोटा बढ़ाने पत्र लिखने की इसलिए आवश्यकता नहीं थी क्योंकि केन्द्र व राज्य के बीच हुए एमओयू की नियम 18 में स्पष्ट है कि यदि राज्य के पास धान का अधिक संग्रहण हो गया है तो वह अतिरिक्त चावल में परिवर्तित कर केन्द्रीय पूल में ले लेगी। हम नियम के बाद पत्र लिखने का कोई औचित्य नहीं था। इस अवसर पर बेलतरा विधायक रजनीश सिंग, भाजपा जिलाध्यक्ष रामदेव कुमावत, जिला मीडिया प्रभारी के के शर्मा, प्रणव शर्मा सहित पत्रकार बंधु शामिल थे।

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