सृष्टि की रचना करने वाले भगवान विश्वकर्मा जयंती हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है और इस साल 2023 में विश्वकर्मा पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 07:50 से दोपहर 12:05 बजे तक रहेगा. सनातन धर्म में सृष्टि की रचना करने वाले भगवान विश्वकर्मा जयंती पर सुबह से ही मूर्ति स्थापना कर पूजा की जाती है साथ ही प्रतिष्ठान बंद कर जगह जगह प्रसाद वितरित किया जाता है। भगवान विश्वकर्मा को सभी देवी-देवताओं के दिव्य वास्तुकार और डिजाइनर के रूप में जाना जाता है। इसलिए आर्किटेक्ट, इंजीनियर और मूर्तिकार उनकी पूजा करते हैं।इस दिन लोग अपने दफ्तरों, कारखानों में मशीनों, औजारों और निर्माण कार्यों में काम आने वाले उपकरण, वाहनों की पूजा कर कार्य में तरक्की की प्रार्थना करते हैं।
कारोबार में नहीं आती है रुकावट
व्यापार में तरक्की और उन्नति होती है. जो भी कार्य प्रारंभ किए जाते हैं, वे पूरे होते हैं। मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा से कारोबार में कभी रुकावट नहीं आती। शुभ मुहूर्त में पूजा करने पर व्यक्ति को व्वयवसाय में उन्नति और कुशलता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आरती श्री विश्वकर्मा जी की,,,
ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥
आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।
शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥
जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥
श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥